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Jodhpur News: ग्राहक को नहीं लौटाए थे सब्जी के 175 रुपये, अब दुकानदार को देने होंगे इतने हजार रुपये

Jodhpur News: जोधपुर में एक शख्स को दुकानदार ने सब्जी के 175 रुपये नहीं लौटाए थे. वहीं अब उपभोक्ता आयोग ने दुकानदार को 30 हजार से ज्यादा की राशि ग्राहक को देने का आदेश दिया है.

जोधपुर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (द्वितीय) ने एक अभूतपूर्व निर्णय में उपभोक्ता से 175 लेकर सब्जी न देने और दुर्व्यवहार करने के मामले में विक्रेता को 30,175 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है. यह मामला दिखाता है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत छोटी से छोटी शिकायत भी न्यायिक संरक्षण पा सकती है.

पीपाड़ शहर निवासी परिवादी 12 जून 2024 को स्थानीय सब्जी मंडी में खरीदारी करने गया था. उसने 01 किलो गवार रूपये 60/- प्रत्ति किलो, 1/2 किलो मिर्ची 25/- रूपये, 1/2 किलो तोरी 30/- रूपये, 1 किलो टमाटर 40/- रुपये और पाउबर निम्बू 20/- रूपये के हिसाब से कुल 175/- रूपये की खरीद की.

नहीं लौटाए थे ग्राहक के 175 रुपये

परिवादी द्वारा अप्रार्थिया को उपरोक्त 175/- रुपये फोन पे से अदा कर दिये गये. लेकिन विक्रेता (अप्रार्थिया) ने भुगतान के बावजूद सब्जी देने से इनकार कर दिया और न ही राशि वापस की. बार-बार कहने पर भी विक्रेता ने न केवल सब्जी देने से मना किया, बल्कि गाली-गलौच पर उतर आई.

‘उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन’
परिवादी ने न्याय के लिए उपभोक्ता आयोग में परिवाद क्रमांक 232/2024 दर्ज कराया. सुनवाई के दौरान आयोग के अध्यक्ष डॉ. यतीश कुमार शर्मा एवं सदस्य डॉ. अनुराधा व्यास ने मामले को गंभीर मानते हुए स्पष्ट किया कि विक्रेता ने उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन किया है. आयोग ने कहा कि अप्रार्थिया ने न्याय प्रक्रिया को बाधित करने के लिए बार-बार निरर्थक व विधिविरुद्ध आवेदन देकर देरी का प्रयास किया.

दिया इन मामलों का हवाला
आयोग ने यह भी टिप्पणी की कि न्याय केवल विधि आधारित नहीं, बल्कि संवेदना, नैतिकता और नागरिक सम्मान पर भी आधारित होता है. आयोग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के पूर्ववर्ती निर्णयों टाटा केमिकल्स बनाम रेखा सिंह, प्रकाश कुमार बनाम रिलायंस फ्रेश और फ्लिपकार्ट नॉन डिलीवरी केस का हवाला देते हुए इस मामले को सेवा में कमी का स्पष्ट उदाहरण माना.

आयोग का आदेश
विक्रेता 175 मूल राशि, 25,000 मानसिक क्षतिपूर्ति, 5,000 वाद व्यय, कुल 30,175 का भुगतान 45 दिनों के भीतर करे. अन्यथा राशि पर 9 फीसदी वार्षिक ब्याज देय होगा. यह निर्णय न केवल उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक मजबूत उदाहरण है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि न्यूनतम राशि की धोखाधड़ी भी गंभीर परिणाम ला सकती है.

TALK WAY NEWS

abdul hakim M.A.(urdu Lit.) Bachelor in journalism LLB diploma in mechnical engineering

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