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विदेशों में रह रहे भारतीयों का कमाल, पहली बार रिकॉर्ड इतने पैसे भेजे घर, सबसे ज्यादा इन देशों से आया

Remittances Hit Record High: आठ साल पहले प्रवासी भारतीय की तरफ से 61 अरब डॉलर की राशि भेजी गई थी, लेकिन आज ये रकम दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है. यानी, सालाना आधार पर अगर नजर डालें तो इसमें करीब 16% का इजाफा हुआ.

Diaspora Remittances Hit New Record: देश की अर्थव्यवस्था में प्रवासी भारतीयों का कितना योगदान है, ये बात आप नीचे दिए आंकड़ों से भी समझ सकते हैं, जहां पिछले वित्त वर्ष के दौरान उन्होंने एफडीआई से भी ज्यादा पैसे अपने घर भेजे हैं. प्रवासी भारतीयों ने अपने परिवारों को पैसा भेजने में रिकॉर्ड कायम किया है. फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के दौरान विदेशों में रह रहे भारतीयों ने 135.46 अरब डॉलर यानी करीब 1.16 लाख करोड़ रुपये अपने परिवारों को भेजे हैं. अब तक किसी भी साल में प्रवासी भारतीयों की तरफ से भेजी गई सबसे बड़ी राशि है.

पैसे भेजने में प्रवासी भारतीयों का रिकॉर्ड

आठ साल पहले प्रवासी भारतीय की तरफ से 61 अरब डॉलर की राशि भेजी गई थी, लेकिन आज ये रकम दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है. यानी, सालाना आधार पर अगर नजर डालें तो इसमें करीब 16 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. ये आंकड़ा विदेश में रहने वाले भारतीय की आर्थिक समृद्धि को जाहिर करता है.

पिछले करीब 10 वर्षों के आंकड़े को देखें तो भारत सबसे ज्यादा रेमिटेंस हासिल करने वाला देश है. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, मैक्सिको साल 2024 में 5.8 लाख करोड़ रेमिटेंस के साथ दूसरे और उसके बाद 4.1 लाख करोड़ रुपये के साथ चीन तीसरे नंबर पर रहा है.

रेमिटेंस से व्यापार घाटे की भरपाई

आठ साल में रेमिटेंस की रकम करीब दोगुनी हो चुकी है. फाइनेंशियल ईयर 2014-15 के दौरान रेमिटेंस 6 लाख करोड़, 2015-16 के दौरान 5.62 लाख करोड़, 2016-17 के दौरान 5.26 लाख करोड़, 2017-18 के दौरान 5.93 लाख करोड़, 2018-19 के दौरान 6.55 लाख करोड़, 2019-2020 के दौरान 7.13 लाख करोड़, 2020-21 के दौरान 6.87 लाख करोड़ आए.

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 7.64 लाख करोड़, 2022-23 के दौरान 9.64 लाख करोड़, 2023-24 के दौरान 10.18 लाख करोड़ और 2025-25 के दौरान 11.63 लाख करोड़ रुपये भारत को हासिल हुआ. आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि विदेशों से जो पैसे आए हैं, उनमें कुल रेमिटेंस में से ब्रिटेन, अमेरिका और सिंगापुर की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत है. यानी रेमिटेंस से हमारे व्यापार घाटे से करीब 47 प्रतिशत तक की भरपाई हो जाती है.

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