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पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्ष का लाइव अपडेट: पाक ने अफगानिस्तान पर किया बमबारी, तालिबान को मिला सख्त उत्तर –

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंध

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल के दिनों में युद्ध की स्थिति फिर से गर्म हो गई है। पाकिस्तान की सेना ने हाल ही में अफगानिस्तान में तालिबान के ठिकानों पर बमबारी की है। यह एक ऐसा कदम है जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों के खिलाफ यह कार्रवाई पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए की गई है। तालिबान ने भी इसका जवाब देते हुए पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ अपने हमले तेज कर दिए हैं।

चीन की भूमिका और सलाह

दूसरी ओर, चीन ने इस पूरे मामले पर पाकिस्तान को कुछ सलाह दी है। चीन के दृष्टिकोण से, अफगानिस्तान में दुर्लभ खनिजों के लिए प्रतिस्पर्धा और टकराव महत्वपूर्ण है। चीन यह मानता है कि यदि पाकिस्तान इस गतिविधि को सही तरीके से संभालता है, तो उसे आर्थिक लाभ हो सकता है। इस तनाव के संदर्भ में, चीन ने पाकिस्तान को सलाह दी है कि वह अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करे और तालिबान के साथ संवाद बनाए रखने का प्रयास करे।

तालिबानी सेना की ताकत

तालिबान की बढ़ती शक्ति ने पाकिस्तान को चिंता में डाल दिया है। तालिबानी सेना अब एक मजबूत सैन्य शक्ति बन चुकी है, जिसने न केवल अफगानिस्तान के भीतर, बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ भी कई सफल हमले किए हैं। यह स्थिति इस तथ्य को रेखांकित करती है कि पाकिस्तान को तालिबान की सैन्य ताकत का गंभीरता से सामना करना पड़ रहा है। तालिबान के यह हमले पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक स्थिति को खतरे में डाल रहे हैं, जिसके कारण सुरक्षा बलों का मनोबल भी प्रभावित हुआ है।

पाकिस्तान की इंटेलिजेंस विफलता

पाकिस्तानी सेना के प्रमुख आसिम मुनीर ने हाल की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि इंटेलिजेंस की विफलता ने पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति को बेहद गंभीर बना दिया है। उनके अनुसार, जब तक इंटेलिजेंस की प्रणाली को मजबूती नहीं दी जाती, तब तक आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में सफलता हासिल करना मुश्किल होगा। यह स्वीकार्यता दर्शाती है कि पाकिस्तान की सेना को अपने भीतर सुधार करने की आवश्यकता है, ताकि वह तालिबान के खतरे को प्रभावी रूप से समाप्त कर सके।

तालिबान और पाकिस्तान के बीच झड़पें

हाल ही में कंधार में पाकिस्तान और तालिबान के बीच भयंकर गोलीबारी की घटनाएं हुई हैं। इन झड़पों ने इस्लामाबाद को काबुल के साथ अपने रिश्तों को समाप्त करने के लिए मजबूर कर दिया है। यह संक्रमणशील स्थिति न केवल पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर रही है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को भी खतरे में डाल रही है। तालिबान के हमलों ने पाकिस्तानी सेना को चौंका दिया है और इसने उनकी योजनाओं को भी बाधित किया है।

निष्कर्ष

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव का यह नया दौर कई सवालों को जन्म देता है। क्या पाकिस्तान अपनी सैन्य और राजनीतिक स्थिति को संभाल पाएगा? क्या तालिबान की बढ़ती ताकत को चुनौती दी जा सकेगी? और क्या क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए चीन की सलाह उपयुक्त साबित होगी? इन सभी सवालों के उत्तर भविष्य में सामने आएंगे, लेकिन वर्तमान स्थितियों को देखकर यह कहा जा सकता है कि यह तनावपूर्ण समय पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण है।

पाकिस्तान को चाहिए कि वह अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करे और तालिबान के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए नए तरीके अपनाए। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी इस स्थिति में भूमिका महत्वपूर्ण होगी, ताकि क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।

TALK WAY NEWS

abdul hakim M.A.(urdu Lit.) Bachelor in journalism LLB diploma in mechnical engineering

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