राजनीति

हिमंत बिस्वा सरमा या गौरव गोगोई… असम में CM फेस के लिए कौन आगे? सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा

Assam Assembly Election: अगले साल असम में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हुए सर्वे में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और कांग्रेस नेता गौरव गोगोई के बीच कांटे की टक्कर सामने आई है.

Assam Assembly Election: अगले साल होने वाले असम विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म होने लगा है. राज्य में पिछले 10 साल से बीजेपी की सरकार है और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा इस बार भी सत्ता में वापसी की तैयारी में हैं. लेकिन कांग्रेस ने भी बड़ा दांव चल दिया है. उसने अपने सांसद गौरव गोगोई को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है. इस बीच वोट वाइब द्वारा किए गए सर्वे में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं.

सीएम रेस में कांटे की टक्कर

 

सर्वे के मुताबिक, मुख्यमंत्री पद के लिए हिमंत बिस्वा सरमा और गौरव गोगोई के बीच बेहद करीबी मुकाबला है. 46% लोग हिमंत बिस्वा सरमा को फिर से मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं, वहीं 45% लोग गौरव गोगोई को यह जिम्मेदारी सौंपना चाहते हैं. इस टक्कर का बड़ा कारण है असम का जातीय और धार्मिक संतुलन, जिसमें मुस्लिम आबादी करीब 34-40% मानी जाती है. यही वजह है कि दोनों पक्षों के वोट ब्लॉक लगभग बराबरी पर नजर आ रहे हैं.

एंटी इनकंबेंसी है, लेकिन विकल्प पर भरोसा नहीं

सर्वे में 50% लोग मौजूदा सरकार से असंतुष्ट नजर आए. 36% बहुत ज्यादा नाराज और 14% थोड़े नाराज, लेकिन जब पूछा गया कि असम के विकास के लिए कौन सी पार्टी बेहतर है, तो 50% लोगों ने बीजेपी को चुना और 40% ने कांग्रेस को. इससे साफ है कि नाराजगी के बावजूद बीजेपी को लेकर एक स्थायित्व की भावना लोगों में है.

लोग विधायक से नाराज, लेकिन पार्टी से नहीं

सर्वे का सबसे दिलचस्प हिस्सा तब सामने आया जब लोगों से पूछा गया कि क्या वे अपने मौजूदा विधायक को बदलना चाहेंगे. 75% लोगों ने कहा हां, लेकिन इनमें से 40% लोग ऐसे हैं जो सिर्फ विधायक से नाराज हैं, पार्टी से नहीं.

AIUDF के बिना कांग्रेस को नुकसान संभव

2021 में कांग्रेस और AIUDF का गठबंधन था, जिससे बीजेपी और कांग्रेस के वोट शेयर में केवल 1.5% का अंतर था. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में यह गठबंधन टूटा और बीजेपी को 10% का बढ़त मिली. अगर विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस AIUDF के साथ नहीं जाती है, तो बीजेपी की राह कुछ आसान हो सकती है. हालांकि कांग्रेस AIUDF के बिना भी टक्कर देने की स्थिति में दिख रही है.

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